ले लो रे हरी का नाम,
कर्मा का साथी कोई नही....
एक माट्टी के दो दिवे थे,
दोनोवा के न्यारे न्यारे भाग,
कर्मा का साथी कोई नही,
एक जलया है माँ के मंदिर में,
दूजा चौराहे के बिच,
कर्मा का साथी कोई नही,
ले लो रे हरी का नाम,
कर्मा का साथी कोई नही.....
एक बाग़ में दो फुल लागे,
दोनुवा के न्यारे न्यारे भाग,
कर्मा का साथी कोई नही,
एक चढ़ा माँ के चरणों में,
दूजे का बन गया हार,
कर्मा का साथी कोई नही,
ले लो रे हरी का नाम,
कर्मा का साथी कोई नही....
एक बेल पर दो फल लागे,
दोनुवा के न्यारे न्यारे भाग,
कर्मा का साथी कोई नही,
एक फल तो वो बहुत ही मीठा,
दूजे में भरी कडवास,
कर्मा का साथी कोई नही,
ले लो रे हरी का नाम,
कर्मा का साथी कोई नही.....
एक माता के दो बेटे थे,
दोनुवा के न्यारे न्यारे भाग,
कर्मा का साथी कोई नही,
एक बनया है नगरी का राजा,
दूजा मांगरया भीख,
कर्मा का साथी कोई नही,
ले लो रे हरी का नाम,
कर्मा का साथी कोई नही....
एक राजा के दो रानी थी,
दोनुवा के न्यारे न्यारे भाग,
कर्मा का साथी कोई नही,
एक रानी तो जन जन हारी,
दूजी राख दी बाँझ,
कर्मा का साथी कोई नही,
ले लो रे हरी का नाम,
कर्मा का साथी कोई नही.....