आओ आओ पधारो गण राज जी
करिए पुरण भक्तो के काज जी
पार्वती सूत संकर सुवन कहाते हो
रिद्धि और सिद्धि के दाता कहाते हो
शुभ और लाभ के पिता महराज जी 2
आओ आओ पधारो गणराज जी।।
गंगा जल से चरण पखारूंगा
घी के दीप से आरती उतारूंगा
सब देवो के हो सिरताज जी 2
आओ आओ पधारो गणराज जी।।
प्यासा. आपको प्रथम मनाते है
पान फूल मोदक भोग लगाते है
तेरे बिन सुना लागे सारा साज जी 2
आओ आओ पधारो गणराज जी।।।