जिया भजत रहत दिन रैन

जिया भजत रहत दिन रैन,
उमासुत, भजत रहत दिन रैन,
जिया भजत रहत दिन रैन,
उमासुत, भजत रहत दिन रैन,

प्रथम 'सुमुख', 'एकदन्त' हैं दूजे,
प्रथम 'सुमुख', 'एकदन्त' हैं दूजे,
कपिल उचारौ बैन, उमासुत, भजत रहत दिन रैन,

'गजकर्णक' 'लम्बोदर' पंचम, 'गजकर्णक' 'लम्बोदर' पंचम,
'विकट' 'विघननाशक' हैं सप्तम, सुखद 'विनायक नैन,
उमासुत, भजत रहत दिन रैन,

'धूम्रकेतु' 'गणनायक' दसवें, 'धूम्रकेतु' 'गणनायक' दसवें,
'भालचन्द्र' 'गज-आनन' द्वादशे, भजत पड़े तब चैन,
उमासुत, भजत रहत दिन रैन,
जिया भजत रहत दिन रैन, उमासुत, भजत रहत दिन रैन,


(गीत रचना-अशोक कुमार खरे)
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