रामलला के दुआरे चलिये

रामलला के दुआरे चलिये, मुखों बोलते जयकारे चलिए -2
जिन्हें राम जी से प्यार - चले चलो हो जाओ तैयार  ।
चलो मिलजुल के सारे चलिए, मुखों बोलते जयकारे चलिए ।।

कई सौ वर्षों बाद बना है, राम का महल सुहाना ।
देखकर जिसको तन मन झूमें, दिल हो जाए दीवाना ।।
हुए कितने कुर्बान - कितनों ने दे दी है जान ।
इस दिन को दिखाने के लिए, उनकी यादें संजो के रखिए ।।
रामलला के दुआरे चलिए, मुखों बोलते जयकारे चलिए ।

सबरी जैसी करी प्रतीक्षा, देखो रामभक्त ने ।
वीरों ने पर हार न मान,  फिर भी बुरे वक्त में ।।
हुए रामलला प्रसन्न - आकर दिए दर्शन ।
सबके कष्ट मिटाने के लिए, अपना प्रेम लूटाने के लिए ।
रामलला के दुआरे चलिए, मुखों बोलते जयकारे चलिए ।

प्राण प्रतिष्ठा पर ही राम ने, चमत्कार दिखलाया ।
ऐसा बदला रूप प्रभु ने, मूर्तिकार चकराया ।।
बोला मेरी नहीं औकात - प्रभु स्वयं बने साक्षात ।
मेरा मान बढ़ाने के लिए, चरणों से लगाने के लिए ।।
रामलला के दुआरे चलिए, मुखो बोलते जयकार चलिए ।
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