रस पीले वृंदावन का, आनंद ही पाएगा
पीकर देख जरा, जीना आ जाएगा
ये रस अनमोल है, बिन मोल ही मिलता है
बिखरा है जगह~जगह,कहीं~कहीं पर मिलता है
मत भटके इधर-उधर, तेरे पास ये आएगा
सुबह भी मिलता है,ये शाम भी मिलता है
रसिक जनों को यह,आठो याम मिलता है,
एक स्वरूप नही है, नव रस् में पाएगा
स्वाद निराला है, पीता मतवाला है
गोपाल खुद हमने, देखा भाला है
मिलता है श्यामकृपा से ,भव से तर जाएगा
हेमन्त गोयल गोपाल