परमात्मा है प्यारे, तेरी आत्मा के अन्दर ।
अम्बर है एक तारे में, एक बूँद में समंदर ॥
इंसान से भी जयादा, विशवास में है शक्ति ।
भगवान् बना देगी तुझको ही तेरी भक्ति ॥
क्यूँ लूट पे जीता है, क्यूँ पाप कमाता है ।
अपनी ही निगाहों में, क्यूँ खुद को गिराता है ॥
अपनी शक्ति तुम मुझ में भर दो,
मेरी कमजोरी को दूर कर दो ।
दुनिया से मैं बुराई का नाम मिटा दूँ.
जालिम शितानो को मैं इंसान बना दूँ ॥