सुलझाओ मेरी उलझन मैं भटका भटका फिरता हूं
संभालो ना मुझे आकर संभलकर क्यों मैं गिरता हूं
मिला है दर तेरा जब से तुझे बस याद करता हूं
सुलझाओ मेरी......
संभालो ना मुझे आकर तेरी ही आस बच्ची मोहन
मेरे मन में छवि तेरी तेरी ही धुन बसी मोहन
हर लो ना मेरे आंसू तुझे फरियाद करता हूं
सुलझाओ मेरी.....
मैं पापी हूं मेरे कान्हा मेरे तू पाप हर लेना
करु सेवा सदा तेरी यही वरदान मुझे देना
मुझे चरणों में रख लेना अकेले में मैं डरता हूं
सुलझाओ मेरी.......
तू ही जाने हाल मेरा छुपा क्या तुझसे बनवारी
थामा तुमने हाथ मेरा शिवो गई तुमसे ही हारि
बुला लो ना वृंदावन में यहां पल-पल में मरता हूं
सुलझाओ मेरी......
इंद्र कंबोज करनाल
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