मेरे राम दूत हनुमान,
तुम देवों में देव महान,
मुझपर कृपा करो बाला
भीम रूप धरि असुर संघारे,
रामचंद्र जी के काज सँवारे ,
पल में लांघे समुद्र महान,
मिटाये रावण का अभिमान,
मुझपर कृपा करो बाला.........
नासे रोग हरे सब पीरा,
जो सुमिरे हनुमंत बलबीरा,
मूर्छित पड़ा बीर बलवान,
बचाये लक्ष्मण के तुम प्राण,
मुझपर कृपा करो बाला.......
अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता,
अस बर दीन जानकी माता,
अतुलित बल के हो तुम धाम,
तेरा हरपल धरूँ मैँ ध्यान,
मुझपर कृपा करो बाला............
रचना: ज्योति नारायण पाठक
वाराणसी