मईया जी का सजा दरबार,
चलो रे सब माँ के भवनवां,
मईया जी का ऊँचा दरबार,
चलो रे सब माँ के भवनवां
माँग सिंदूर बिराजत मईया के,
रक्त पुष्प गल हार,
चलो रे सब माँ के भवनवां,
मईया जी का सजा दरबार...
चंड मुंड मधु कैटभ मारे,
किया शुम्भ निशुम्भ संहार,
चलो रे सब माँ के भवनवां,
मईया जी का सजा दरबार.....
सुर नर मुनि सेवत मईया को,
दे आशीष भुजा चार,
चलो रे सब माँ के भवनवां,
मईया जी का सजा दरबार....
मईया जी को ध्यावत हरि ब्रम्हा शिव,
मईया जी की बोलें जयकार,
चलो रे सब माँ के भवनवां,
मईया जी का सजा दरबार......
मईया जी को जो नर भाव से ध्यावे,
मईया जी करें उद्धार,
चलो रे सब माँ के भवनवां,
मईया जी का सजा दरबार,
चलो रे सब माँ के भवनवां,
मईया जी का ऊँचा दरबार,
चलो रे सब माँ के भवनवां
रचना: ज्योति नारायण पाठक
वाराणसी