कागा वे मिठडी बोली बोल गुरू जी कद आवनगे,
गुरु बिना मेरे जी नई लगदा ॥
गुरु बिना दरबार नई सजदा॥
मेरी जुगा जुगा दी प्यास आन बुझावणगे,
कागा वे मिठडी बोल, गुरू जी कद आवनगे ॥
गुरु मेरा मेरे दिल दा जानी ॥
ओसदे वचन अमोलक वाणी ॥
मेनू जन्म जन्म दी विछड़ी नु पास बिठावण गे,
कागा वे मिठडी बोल, गुरू जी कद आवनगे ॥
गुरु मेरे ने मेरा भाग जगाया ॥
जन्म मरण दा गेड मुकाया ॥
साडी लाज गुरु दे हाथ विच तोड़ निभावण गे,
कागा वे मिठडी बोल, गुरू जी कद आवनगे