कब आओगे राम हमारे, सीता तुम्हारी तुमको पुकारे ॥
लाया है हर के मुझको, लंका दशानन अपने बाग में,
जब तक न तुम आओगे, जलती रहूँगी विरह आग में,
रोती रहूँगी साँझ सकारे, कब आओगे राम हमारे,
सीता तुम्हारी तुमको पुकारे, कब आओगे राम हमारे,
जागूँ मैं सारी रतियाँ, आग उगलती पुरवाइयाँ,
रोते हैं पंछी वन के, आँसू बहाती अमराइयाँ,
रोते गगन में चाँद सितारे, कब आओगे राम हमारे,
सीता तुम्हारी तुमको पुकारे, कब आओगे राम हमारे,
बात न मानी मैंने,
बात न मानी मैंने, सौमित्र दोषी सीता आपकी,
डूबी हूँ दुःख सागर में, टूटी है सीमा संताप की,
सीता तुम्हारी वाट निहारे, कब आओगे राम हमारे,
सीता तुम्हारी वाट निहारे, कब आओगे राम हमारे,
कब आओगे राम हमारे,
(गीत रचना- अशोक कुमार खरे)