अगर राघव के चरणों मे ,
जगह थोड़ी सी मिल जाये।
तो संभव है मेरा जीवन,
ये सारा ही बदल जाये।।
कई जन्मों से मैली है,
मेरी ये नूर सी चादर।
उठाये अब नही उठती ,
मेरी पापों की ये गागर।।
लगादो हाथ थोड़ा जो,
वजन इसका बदल जाये।।
अगर राघव के चरणों मे ,
जगह थोड़ी सी मिल जाये।
मैं पापी हूँ बड़ा ऐसा,
कभी मंदिर नही आया।
भजन राघव तुम्हारे नाम का,
एक भी नही गया।।
तूँ चाहे तो दया सागर में
मेरे पाप सब धूल जाएं।।
अगर राघव के चरणों मे ,
जगह थोड़ी सी मिल जाये।
ये सांसे आखिरी जीवन की,
न जाने कब ये ढल जाएं।
ये सारे रास्ते जीवन के ,
जाने कब बदल जाएं।।
न करना देर कि राजेन्द्र का,
सब कुछ ही छल जाए।।
अगर राघव के चरणों मे ,
जगह थोड़ी सी मिल जाये।।