काली कमली ने ऐसा रंग डाला,
के रंग कोई चडता नहीं।
रूप भी काला रंग भी काला,
फिर भी गज़ब कर डाला।
काले रंग ने दीवाना कर डाला,
के रंग कोई चडता नहीं॥
वह सुन्दर रूप विलोक सखी मन हाथ से मेरो भगो सो भगो,
चित्त सांवरी मूरत देखते ही हरी चन्द्र जो जाए पगो सो पगो।
हमे औरन से कछु काम नहीं अब तो जो कलंक लगो सो लगो,
रंग दूसरो और चडोगो नहीं, सखी सांवरो रंग रगों सो रंगों॥
टेढ़ी चित्तवन टेढ़ी अदा है,
जिस पे दिल यह फ़िदा है।
श्याम प्यारे ने ऐसा जादो डाला,
के रंग कोई चडता नहीं॥
मोहन नैना आपके नौका के आकार,
जो जन इनमे बस गए तो हो गये भव से पार।
तेरे नैना कारे कारे,
हम पे जादू डारे।
तेरी नजरो ने हमे मार डाला,
के रंग कोई चडता नहीं॥
ऐसा रंग डाला मेरा सब कुछ रंग गया।
और रंग धुल गए इक श्याम रंग चढ़ गया॥