किसे क्या मिला मुकदर की बात है ख़ुशी है येही तू तो मेरे साथ है,
किस्मत में नहीं था जो इक तेरे मिलने से वो भी है मिला हमको,
किरपा है तेरी इनायत है तेरी बहकने मुझे दिया तूने न कभी,
उजाले दिए हुई जब भी रात है ख़ुशी है येही तू तो मेरे साथ है,
रेहमत का उजाला है अंग संग होने का तेरे एहसास निराला है,
तू साहिल मेरा सफीना भी तू मेरा,
मुझे दर है क्या अगर साथ है तेरा,
तू साथी है तो यहाँ सारा साथ है,
ख़ुशी है यही तू तो मेरे साथ है,
कश्ती भी किनारा भी इस भव सागर में तू खेवन हारा भी,
किसे क्या मिला मुकदर की बात है ....