दोहा - पवन तनय संकट हरण मंगल मूरत रूप ।
राम लखन सीता सहित ह्रदय बसौ सुर भूप ॥
तन में मन में रोम रोम में,
रहते हैं श्री राम जी ,राम जी ॥
वाह रे वाह हनुमानजी ॥
श्री रघुवीर के नाम आगे ,त्याग दिए हीरे मोती ॥
मेरे मन सिया राम हैं चीर के दिखला दी छाती ॥
और बोले श्री राम जी ,राम जी ॥
वाह रे वाह हनुमानजी ॥.......
रहें हमेशा ब्रह्मचारी और ,सिया राम की भक्ति करें ॥
करें सहायता दिन दुःखियों, अभिमानी का मान हरें ॥
हम बोलें श्री राम जी, राम जी ॥
वाह रे वाह हनुमानजी....
यह अनुरोध है रघुवर तुमसे, आपके दर्शन हो जायें ॥
पर निन्दा तुर हो जाएं दिल से,
सिया राम कुल बस जाएँ ॥
और बोले श्री राम जी,राम जी ॥
वाह रे वाह हनुमानजी ......