संदेसा आ गया यम का चलन की कर तयारी है,
बाल सिर के हुए धोले सफेदी आँख पर छाई,
कान से हो गया बेहरा दांत हिलना भी जारी है,
संदेसा आ गया तुम को.....
कमर सब हो गई कुबड़ी चले अब लकड़ी सहारे से,
गई सब देह की ताकत,
लगी तन में बीमारी है,
संदेसा आ गया तुम को.....
छुटी सब प्रीत तेरियां की,
पुत्र सब हो गये नयारे,
बने सब मतलब के साथी,
झूठ लोकन की यारी है,
संदेसा आ गया तुम को.....
करो जगदीश का तुम सुमिरन,
भरो सा राख कर मन में,
वो ब्रह्मा नन्द है तेरा,
एक ही सहाये कारी है,
संदेसा आ गया यम