ओ गरीब नवाज मेरी

ओ गरीब नवाज मेरी बह फड लै,
मैनू पार करन दी हामी भर ले,

अपने सतगुरु दे दर उत्ते वेखे अजब नजारे मैं,
भव सागर विच डुबदे जांदे लखा पापी तारे ने,
जे तेरी किरपा हो जाये सतगुरु पल विच पार हो जावा,
ओ गरीब.........

चारो कनी किच्चड भरे किस तरह मैं धोवा,
साबन थोडा मेल गनीरी बैठ किनारे रोवा,
जे तेरी किरपा हो जाये सतगुरु पल विच उसदी हो जावा
ओ गरीब.........

अपने सतगुर दे लई मैं हिरदये पलक बनावा,
पलका दी मैं सहज विशा के फुला नाल सजावा,
जे तेरी किरपा हो जाये सतगुरु दिल दा हाल सुनावा,
ओ गरीब.........

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