तान तकड़ी ते मन वन्जारा

तान तकड़ी ते मन वन्जारा,
जी सोधा करी सोच सोच के,

इस तान दे ने नौ दरवाजे,
दसवा ठाकुर द्वारा ,
जी सोधा करी सोच सोच के,
तान तकड़ी.........


इस तान अन्दर हीरे मोती,
कोई विरला परखन हारा ,
जी सोधा करी सोच सोच के,
तान तकड़ी.......

इस तान अन्दर नाले नदिया,
कोई नावे नावण हारा,
जी सोधा करी सोच सोच के,
तान तकड़ी.......

इस तान अन्दर ज्योत है जगदी,
जगदी है बिन बाती बिन तेल ,
जी सोधा करी सोच सोच के,
तान तकड़ी........

भव सागर पया ठा ठा मारे,
ऊथे सतगुरु पार लगावण हारा,
जी सोधा करी सोच सोच के,
तान तकड़ी........
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