जिन्हा दे सिर उत्ते हाथ गुरा दा,
उन्हा नु काहदा डर वे लोको,
गुरा दे द्वारे आके मांगणो ना संगिये,
उन्हा दे कोलो बस नाम ही मांगिये,
जिन्हा दे वन गये ने सतगुरु मालिक,
उन्हा नु.........
दुःख आवे सुख आवे हस के गुजारिये,
हर वेले दाता दा शुकर गुजारिये,
जिन्हा दे पल्ले सिद्क़े दी पूंजी
उन्हा नु........
इस झूठे जग कोलो पल्ला छुड़ा लाईये,
सतगुरु प्यारे नु अपनी बाहा फडा लाईये,
जिन्हा ने सत्गुरा ते सुटियाँ डोरा,
उन्हा नु.......