तनु कौन करेगा पार,
जे तू गुरा नाम नई जपिया,
तनु कौन करे गा पार,
एह धन दौलत पाप कमाई,
इसने जग न विपदा पाई,
रेहँदी ना इक सार,
तनु कौन करे गा पार,
जनम अमुला कदर न जानी,
रूल गई एवे जिंदनिमानी,
आन फसे मझधार तनु कौन करे गा पार....
जे तू आखे कुडम कबीला पार हों दा एह वसीला,
एह पैसे दे यार तनु कौन करेगा पार,
एह नहीं आने काम बखेड़े,
ओथे रमला नाल नबेड़े,
हूँ भी सोच विचार तनु कौन करे गा पार,