खाटू धाम की माटी म्हारै रास आ गई

कण - कण में तेरा वास प्रभु,
जो करे दुखों का नाश प्रभु ,
दुनिया भर की खुशियां मेरे पास आ गई,
थारे धाम की माटी म्हारै रास आ गई ,

कोई नहीं दिख्यो अपणो , जद तू ही नजर मनै आयो
खाटू नगरी आ बैठयो , जब मेरो जी घबरायो
पैर धरयो खाटू मै , सांस मै सांस आ गई
खाटू धाम की माटी ..

खाटू की माटी का , हमने देखा अजब नजारा
क्या निर्धन क्या सेठ , सभी को इसने पार उतारा
दुनिया सारी करके , ये विश्वास आ गई
थारे धाम की माटी ..

रेत नहीं मामूली , ये तो है संजीवन बूटी
मौज करूं दिन सांवरा , सोऊं तान के खूंटी
होली और दीवाली , बारहों मास आ गई
खाटू धाम की माटी ..

तेरी इस पावन मिट्टी में , मैं मिट्टी हो जाऊँ
सदा - सदा के लिए , तेरे इन चरणों में सो जाऊँ
" नरसी " के होंठो पे , इतनी प्यास आ गई
खाटू धाम की माटी ..

सभी श्याम प्रेमियों को .. लेखक एवं गायक .. नरेश " नरसी " ( फतेहाबाद ) की ओर से ..
!! जय श्री श्याम जी !!
भजन प्रेषक : प्रदीप " सिंघल " ( जीन्द वाले )
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