भक्त रहे ना पहले जैसे, श्याम को कौन बनाए गा,
खाटू वाला नीले चढ़कर किसके खातिर आएगा,
भक्त रहे ना पहले जैसे........
किसकी सुनेगा बात भला अब कौन भला अब बोलेगा,
मोरछड़ी से बंद तालों को कौन भला अब खोलेगा,
श्याम बहादुर जी के जैसा दूजा ना मिल पाएगा,
भक्त रहे ना पहले जैसे......
ढूंढे लेकिन भाव मिले ना बाबा तेरे कीर्तन में,
अपने अपने नाम का लालच लेकर बैठे हैं मन में,
श्याम अखाड़ा आलू सिंह जी जैसा कौन लगाएगा,
भागत रहे ना पहले जैसे......
शिवचरण जी के भावों में श्याम धणी खो जाते थे,
हाथ पकड़कर हर अक्षर को दीनानाथ दिखाते थे,
भजनों की अनमोल यह माला कैसे कृष्ण चलाएगा,
भक्त रहे ना पहले जैसे, श्याम को कौन बनाए गा,
खाटू वाला नीले चढ़कर किसके खातिर आएगा......