दर्शन मेरे सतगुरु दे करके खिड़ गया जग सारा

फूल कलियाँ नाल सज सवार,
संगता जांदियाँ ने बलिहारी,
अन हद नूर धरती उते पेंदा है लिश्कारा,
दर्शन मेरे सतगुरु दे करके खिड़ गया जग सारा,

टपड़ा मन सी ठर गया तप के,
दुःख भी लंग गए पासा वट के,
अखियां विचो उछल उछल के वगि प्रेम दी धारा,
दर्शन मेरे सतगुरु दे करके खिड़ गया जग सारा,

किंज तका तेरे जल कारे धन धन सचिये सरकार,
इक घडी ना साडा हॉवे तेरे बिना गुजारा,
दर्शन मेरे सतगुरु दे करके खिड़ गया जग सारा,

पौना सरगम लौंडियाँ पइयाँ,
गीत ख़ुशी दे गोंदिया पइयाँ,
अखियां ने निन्दियाँ वल दिठा कैसा अजब नजारा,
दर्शन मेरे सतगुरु दे करके खिड़ गया जग सारा,
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