फुलों सा मुखडा तेरा

फुलों सा मुखडा तेरा मधुर सी मुस्कान हैं,
रंग तेरा देख के..रूप तेरा देख के,
देवगण.भी हैरान हैं,
सारे गोकुल मेँ फैला उजाला,
वसुधा पे फैली चमक चांदनी,
होठों पे.तेरे गीता की माला,
अधरों पे तेरे सजी बांसुरी,
माखन चढाउंगा,
भोग लगाउंगा,
ब्याह तेरा होगा बारात सजेगी...
राधाकृष्ण होंगें.. देव भी मगन होंगे...
सबकी  दुआओं से महारास रचेगी..
ऋषिमुनि होंगे.. लोग मगन होंगे..
शरदपुनम की वो रात सजेगी..
लंबी हो तेरी उमर हम सबका अरमान हैं...
रंग तेरा देख के रूप तेरा देख के देवगण भी हैरान हैं..
फुलों सा मुखडा तेरा...
कमल के जैसी आंखेँ हैं तेरी ..
रेशम के जैसा तेरा बाल हैं..
माथे पे तेरे गोरेचन का टीका.
गले में सुशोभित वैजयंती माल हैं..
कुंंजगलियन मेँ गोकुल वृंदावन मै..
तेरा कहीं कोई जवाब नहीं है..
जमुना के तट पे..कदम्ब पनघट पे...
तेरा जैसा कोई लाजवाब नहीं है..
खुशियों में तु है पला...
हर मन मे विद्यमान हैं..
रंग तेरा देख के रूप तेरा देख के कुदरत भी हैरान हैं...
फुलों सा मुखडा तेरा...
कलियों सी मुस्कान हैं...
रंग तेरा देख के रूप तेरा देख के कुदरत भी हैरान हैं.।.

प्रेषक
प्रफुल्ल भाऊ
८२६९७५३३८०
श्रेणी
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