दर दिवार दर्पण भयो,
जित देखू तित तोय ।
कंकर पत्थर ठीकरी,
सब भयो आरसी मोय ॥
आवे ना जावे, मरे नहीं जन्मे,
सोई निज पीव हमारा हो ।
ना प्रथम जननी ने जनमो,
ना कोई सिर जन हारा हो ॥
आवे ना जावे, मरे नहीं जन्मे
सोई निज पीव हमारा हो...
साधनसिद्ध मुनि ना तपसी,
ना कोई करत आचारा हो ।
ना खट दर्शन चार बरन में,
ना आश्रम व्यवहारा हो ॥
आवे ना जावे, मरे नहीं जन्मे
सोई निज पीव हमारा हो...
ना त्रिदेवा सो हम शक्ति,
निराकार से पारा हो ।
शब्द अतीत अचल अविनाशी,
छर अक्षर से न्यारा हो ॥
आवे ना जावे, मरे नहीं जन्मे
सोई निज पीव हमारा हो...
ज्योति स्वरुप निरंजन नाही,
ना ओम हुंकारा हो ।
धरनी ना गगन,पवन ना पानी,
ना रवि चंदा तारा हो ॥
आवे ना जावे, मरे नहीं जन्मे
सोई निज पीव हमारा हो...
है प्रगट पर दिसत नाही,
सतगुर सैन सहारा हो ।
कहे कबीर सब घट में ही साहिब,
परखो परखन हारा हो ॥
आवे ना जावे, मरे नहीं जन्मे
सोई निज पीव हमारा हो...