अब कायन को कल्पे मुरख

अब कायन को कल्पे मूरख परदेसी कोई आया रे,
परदेसी कोई आया मुसाफिर परदेसी कोई आया रे.....

एक बूंद की रचना सारी, गया बून्द बहु तेरा रे,
गया बून्द का खोज न करियो, गया बून्द क्यों रोया,
मुसाफिर परदेसी कोई आया रे,
अब कायन को कल्पे मूरख......

माता कहे की पुत्र मेरा पुत्र कहे मेरी माता रे,
या ठगनी ने कही घर ठगिया, इनका केसा नाता,
मुसाफिर परदेसी कोई आया रे,
अब कायन को कल्पे मूरख.....

कोड़ी कोड़ी माया जोड़ी संग कछु नहीं जाता रे,
क्या करे शीपन का मोती, लाखो हीरा खोया,
मुसाफिर परदेसी कोई आया रे,
अब कायन को कल्पे मूरख.....

चंदा सूरज दो बाजु कहिये कोट महान उजियारो रे,
कहे जन दल्लू सुनो भाई साधो साँझ नहीं सवेरा,
मुसाफिर परदेसी कोई आया रे,
अब कायन को कल्पे मूरख.....
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