तू है दानी अन्तर्यामी ओ मेरे भोले बाबा,
तेरा सिर पे हाथ रहे क्या मांगू इस से ज्यादा,
तू है दानी
जग की रकक्षा करने को तूने पिया जहर का प्याला,
जोगी जोगी साधु जन सब जपते तेरी माला,
बिन दर्शन अब न रहु तू ही हम सब का है प्रभु,
तू है दानी अन्तर्यामी ओ मेरे भोले बाबा,
तेरा सिर पे हाथ रहे क्या मांगू इस से ज्यादा,
तू गंगाधर तू ही विश्धर तू ही जग अधिकारी,
शीश विराजे चंद्र तुम्हरे ओ बाबा त्रिपुरारी,
तेरी भक्ति में ही रमु तू ही हम सब का प्रभु,
तू है दानी अन्तर्यामी ओ मेरे भोले बाबा,
तेरा सिर पे हाथ रहे क्या मांगू इस से ज्यादा,
सब की सुनता सब को देता तू भोले भंडारी,
दूजा ना तेरे जैसा तू ही है सुख कारी,
तेरा सुमिरन हर पल करू तू ही हम सब का है प्रभु,
तू है दानी अन्तर्यामी ओ मेरे भोले बाबा,
तेरा सिर पे हाथ रहे क्या मांगू इस से ज्यादा,