मानने वाले जगत मानते बोल रहे जय जय कार,
कलयुग में गूंजे दो नाम जय बाला जी जय श्री श्याम,
पहला ऐसा देव मिला जो भूत पिछात भगा ता है,
राम भगत उ कहता है और सीना फाड़ दिखाया है,
दूजा मेरा श्याम संवारा हारे को जिताता है,
शीश दान देकर के बाबा अजर अमर बन जाता है,
इन के दर पे जो कोई आवे उसके बनते बिगड़े काम,
संकट में लक्ष्मण है ये राम ने मान लिया,
कलयुग में गूंजे दो नाम जय बाला जी जय श्री श्याम,
सच्चे मन से जो कोई धाये दौड़े दौड़े आते है,
अपने भगतो के मेरे बाबा सरे कष्ट मिटाते है,
बाला जी उड़े पवन वेग से और नीले पे मेरा बाबा श्याम,
इनके दर्शन मिलते ही कट ते है सब के कष्ट तमाम,
इस कलयुग में सारा जग बस करता इनका ही गुण गान,
कलयुग में गूंजे दो नाम जय बाला जी जय श्री श्याम,
हसने गाने लगे है वो जो चिंता में सब रहते थे,
बाला जी और श्याम सँवारे का नाम कभी न लेते थे,
कहता कौशिक सब भगतो संग सच्चे है बस येही धाम,
सालसर में बाला जी और खाटू में विराजे बाबा श्याम ,
भगतो के मन वसे है बस इन दोनों के दो नाम,
कलयुग में गूंजे दो नाम जय बाला जी जय श्री श्याम,