सज धज भोले भंडारी आये है,
नंदी पे सवारी विशधारी आये है,
आई भोले की बारात ऋषि देव घन साथ,
ब्रह्मा विष्णु के संग त्रिपुरारी आये है,
सज धज भोले भंडारी आये है,
बड़ा ही अजीब रूप भोले ने रचाया है,
सृष्टि का नाथ कैसा बन कर आया है,
तन बसम लगाये नाग गले लिपटाये,
भोले अपनी जटा जटा धारी आये है,
सज धज भोले भंडारी आये है,
आगे और पीछे भूत प्रेतयो की टोलियां,
चारो ही तरफ गूंज रही किलकारियां,
जो भी देखे वही हाय दर दर देखो जाये,
आज आफत के संग हाहाकारी आये है,
सज धज भोले भंडारी आये है,
नंदी पे सवार शिव डमरू भजते है,
डमरू पे भूतो की बरात को नचाते है,
दास शर्मा ये बोले तेरी जय हो शिव भोले,
तेरी लेने आज हम सेवादारी आये है,
सज धज भोले भंडारी आये है,