खाटू में आने वाले को भरपूर दिया है
किसी को आजकल मगर ज़रूर दिया है
खाटू से लौटते हुए हर भक्त ने कहा
बाबा ने मेरी अर्ज़ी को मंज़ूर किया है
किसी को आजकल मगर ज़रूर दिया है
हारे का सहारा है हार करके आये जो
रंक को भी श्याम ने हुज़ूर किया है
किसी को आजकल मगर ज़रूर दिया है
खाटू के दर पे किरपा की बारिश में भीग लो
सागर कहीं पे और कहीं पे बूँद दिया है
किसी को आजकल मगर ज़रूर दिया है
हर पल दिखा रहा है श्याम अपना करिश्मा
बिट्टू की साड़ी मुश्किलों को दूर किया है
किसी को आजकल मगर ज़रूर दिया है