सुन ले अंजनी माँ के पूत चौबीस घंटे दुखी करे ये नेया नवेला भूत,
म्हारे घर में आके जम गया यो वेरी मेहमान,
छोटे बड़े सब हारे घर के होंगे परेशान,
सब की काया ने तोड़े यो चाला करे कसुत,
चौबीस घंटे दुखी करे ये नेया नवेला भूत,
घाट म्हारी तो तोड़ भगाई नाचे सारे रात,
कदी दिखावे थपड हमने कभी दिखावे लात,
खाके महारा माल दिखावे हम ने ही झूठ,
चौबीस घंटे दुखी करे ये नेया नवेला भूत,
अकड़ पडोसी आके लेके माहरे घर का रंग,
हो गया माहरा उठ मटीला होइ शानती भंग ,
तेरे चरणों में ला दी अर्जी आके खड़ा सपूत.
चौबीस घंटे दुखी करे ये नेया नवेला भूत,
बबुल भगत ने दिखलाई है मेहंदीपुर की रही,
कह परमिंदर इस संकट की जम कर करो पिटाई,
कर्म वीर रंग पुरिया कह तेरी बेदी से मजबूत,
चौबीस घंटे दुखी करे ये नेया नवेला भूत,