बताऊ क्या तुझको साँवरे अपने दिल की बात,
मन की पीड़ा मन ही मन ही जाने क्या जाने तू नाथ,
बताऊ क्या तुझको साँवरे अपने दिल की बात,
हिचकोले न खाये वो नैया जिसके तुम हो श्याम खवइयाँ,
फिर क्यों मेरी जीवन नैया खाये भवर से मार,
बताऊ क्या तुझको साँवरे अपने दिल की बात,
चोट जिगर पे इतने खाये दर्द साहा न मुझसे जाये,
दिल की उजली धुप भी लगती है अधियारी रात,
बताऊ क्या तुझको साँवरे अपने दिल की बात,
बिगड़ी मेरी तकदीर स्वारो हर मुश्किल से श्याम उभारो,
दीन हीन तुम कुंदन के हो बालक दीना नाथ,
बताऊ क्या तुझको साँवरे अपने दिल की बात,