निगाहे करम की नजर कीजिये,
गमे जिंगदी की सेहर कीजिये,
दर दर पे घूमे भटकती यहाँ प्रभु अब तो मेरी खबर लीजिये,
निगाहे करम की नजर
बिगड़ा नसीबा बनाते तुम्ही बिछड़े हुयो को मिलाते तुम्ही हो,
मुझपे चढ़ा कर रंग अपना सुधामा के जैसी मेहर कीजिये,
निगाहे करम की नजर
ना मनागु ख़ुशी मैं दोनों जहां की बस जरूरत मुझे बस तुम्हारी दया की,
मुझे अपने दर की जोगन बना,न मुझे दर बदर कीजिये,
निगाहे करम की नजर
ये माना है मैं तेरे काबिल नहीं हु,तेरे भक्त जन में शामिल नहीं हु,
चन्दन को अपनी दासी बना अनाड़ी के जैसी कदर कीजिये,
निगाहे करम की नजर