सलोने सँवारे मोहन तूमें मन याद करता है,
चले आओ याहा हो तुम मिलन का मन करता है,
सलोने सँवारे मोहन तूमें मन याद करता है,
कभी हम साथ खेले थे यही यमुना किनारों पर,
कभी झूले के संग तेरे वो सावन की फुहारों में,
वही सावन वाही झूले ये मधुवन याद करता है,
सलोने सँवारे मोहन तूमें मन याद करता है,
मेरा मन चैन छीना है तेरी मुरली की तानो ने,
बहुत ढूंडा मिले न तुम मिलन के हर ठिकानो पे,
वही पनघट रही राहे ये कदम याद करता है,
सलोने सँवारे मोहन तूमें मन याद करता है,
इंद्र बरसा था गंगा जल बचाया था सब को तुम ने,
मेरे बरसे यो नैना तरस ना खाया क्यों तुम ने,
मेरे आंसू मेरी धड़कन ये दिल याद करता है,
सलोने सँवारे मोहन तूमें मन याद करता है,
सुनके बीनती ये रजनी की रोशन चाँद सितारे है,
तेरे बिन श्याम मधुमन के फीके ये नज़ारे है,
सुना है मन का आंगन भी निरंजन याद करता है,
सलोने सांवरे मोहन.......