प्रीत सैया राम से लगाउगी ,
झोपडी अयोध्या जी बनाऊगी,
सब देख लिया है तमाशा पूरी हुई मन की आशा,
सब नाथो से मुक्ति आज मैं पाओगी,
झोपडी अयोध्या जी बनाऊगी,
श्री राम जी बड़े किरपालु सिया जी सा न कोई दयालु,
सिया राम से वर यही मैं पाउगी
झोपडी अयोध्या जी बनाऊगी,
तन मन से सेवा करुँगी जीयु गी वही मरुँगी,
अयोध्या जी की रज को तन में रमाउ गी ,
झोपडी अयोध्या जी बनाऊगी,
नत आरती दर्श करुँगी संतो की शरण बहु गी ,
ला ला गड़वाले संग में नाचू गाउ गी ,
झोपडी अयोध्या जी बनाऊगी,