झिलमिल तारा ऋ आ चुनरी उढावे भाई

झिलमिल तारा ऋ आ चुनरी उढावे भाई,
उड़ावे भाई जी ओहडो माहरे भाई,
झिलमिल तारा ऋ आ चुनरी उढावे भाई,

माई रे री शुभ वेला में मंगल गीत सुनावा जी,
भात भरण ने भाई भतीजा भावज आई,
झिलमिल तारा ऋ आ चुनरी उढावे भाई,

पेहरिये से चुनड़ लेकर मीरो माहरो आयो जी,
सास नंद की चुनड़ी ने खूब सजाई,
झिलमिल तारा ऋ आ चुनरी उढावे भाई,

वंश बड़े महारे बाबुल को युग युग जेवे भाई जी,
सौरव मधुकर आख्या म्हारी भर भर आई,
झिलमिल तारा ऋ आ चुनरी उढावे भाई,
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