आपको ही आसरो है,आपको ही शरणो है,
आपके ही चरणो में,जीणो ओर मरणो है,
आप ही माता-पिता,कुटुम्ब परिवार हो,
भाई बन्धु सखा सहायक,तुम ही शरदार हो,
जीवन को उद्धार प्रभु,आपने ही करणो है,
शरण आए की लज्जा,राखो तुम दीनानाथ,
भव बीच नैया डोले,डोरी अब तेरे हाथ,
भलो बुरो जो भी हूँ में,आपने विचारणो है,
तुम ही नैया खवैया,तुम ही पतवार हो,
दीन बन्धु दु:खियों के,तुम ही आधार हो,
अर्ज हमारी प्रभु,आपको ही तारणो है,
ॠषि मुनी गण सब,करे सब बन्दगी,
सुणलो पुकार प्रभु,अब सदानन्द की,
शरण आये को प्रभु,सारो दुःख हरणो है,
रचनाकार:-स्वामी सदानन्द जोधपुर
M.9460282429