सुन लाख टके की बात

सुन लाख टके की बात
सुखों को देने वाला देता
सदा दुख में भी साथ
सुन लाख टके की बात

रची है जिसने सृष्टि सारी
रचे सूरज चाँद सितारे
जीव जंतु सब उसने बनाए
रच दिए सारे नज़ारे
रचे जिसने दिन रात
सावन पतझड़ और बरसात
सुखों को देने वाला देता
सदा दुख में भी साथ
सुन लाख टके की बात

चरण उसके पड़े जहाँ पर
होता पुण्यों का वहीं बसेरा
छूट जाता नाम जपने से जिसके
जन्म मरण का फेरा और
शरण में मिलता जिसके परमार्थ
राजीव छूट जाए जब गात
सुखों को देने वाला देता
सदा दुख में भी साथ
सुन लाख टके की बात

©राजीव त्यागी

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