तेरी मेरी कट्टी है जायेगी

सुन ले ओ राधा भोली जो मो से न खेली होली तो ,
तेरी मेरी कट्टी है जायेगी,

जो खेलोगे कान्हा होली जो मुझसे करोगी ठिठोली.
तो तेरी मेरी कट्टी हो जायेगी,तो से लड़ाई मेरी हो जायेगी,

राधा तेरा रूप निराला है कब रिजे मुरली वालो है,
क्यों मोपे रंग तूने डालो है तू नटखट मुरली वालो है,
मैं लायो रंग और रोली जो मो से न खेली होली,
तेरी मेरी कट्टी......

तू चंचल श्याम बिहारी है तुजसे सखियाँ मेरी हारी है,
ब्रिज की होरी बड़ी न्यारी है क्यों रूठे राधे प्यारी है,
क्यों बोल के मीठी बोली जो मो से करो गे ठिठोली,
तेरी मेरी कट्टी

तेरी जादू भरी नजरियां है दीवाना श्याम सांवरियां,
क्यों गेरे श्याम डगरियाँ में लग जाए दाग चुनरियाँ में,.
हसे ग्वालो की ये टोली जो मो से न खेली होली,
तेरी मेरी कट्टी
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