श्रीमन नारायण नारायण नारायण
लख चौरासी, भोग के तूने, यह मानव तन पाया ll
रहा भटकता, माया में तूने, कभी न हरि गुण गाया,
भज ले, नारायण नारायण नारायण
वेद पुराण, भागवत गीता, आत्म ज्ञान सिखाए
रामायण जो, पढ़े हमेशा, राम ही राह दिखाए,
भज ले, नारायण नारायण नारायण
गज़ और ग्राह, लड़े जल भीतर, लड़त लड़त गज़ हारा
प्राणो पर जब, आन पड़ी तो, प्रेम से तुझे पुकारा,
भज ले, नारायण नारायण नारायण
कोई नहीं है, जग में तेरा, तूँ काहे भरमाए
प्रभु की शरण में, आजा बंदे, वही पार लगाए,
भज ले, नारायण नारायण नारायण
श्रीमन नारायण नारायण नारायण
श्रीमन नारायण नारायण नारायण
अपलोडर- अनिलरामूर्तिभोपाल