जाने वालों ज़रा पूछना श्याम से
क्यों बुलाया नहीं मुझको दरबार में
जाने वालों ज़रा .......
क्या खता थी मेरी क्या मेरा दोष था
क्या कमी रह गई थी मेरे प्यार में
जाने वालों ज़रा .......
क्या मिलेगा उसे दिल मेरा तोड़ कर
यूँ अकेला मुझे इस तरह छोड़ कर
गैर होता जो वो करता परवाह नहीं
पर रुलाया मुझे मेरे दिलदार ने
जाने वालों ज़रा .......
उसका अपना हूँ मैं कोई पराया नहीं
एक पल बी ही उसे तो भुलाया नहीं
क्या कहूंगा उन्हें मुझसे पूछेंगे जो
क्यों बुलाया तुझे तेरे ही यार ने
जाने वालों ज़रा .......
क्या मेरा नाम अपनों में शामिल नहीं
क्या मैं उसके दरश के भी काबिल नहीं
क्या मैं काबिल नहीं
जीना किस के लिए अपनी नज़रों में ही
जो गिराया मुझे मेरे सरकार ने
जाने वालों ज़रा .......
सोनू कहता दीवाने क्यों करता फिकर
फेर सकता नहीं अपनों से वो नज़र
अपनों से वो नज़र
ये भी मुमकिन है की एक दिन सांवरा
चल के आ जायेगा खुद तेरे द्वार पे
जाने वालों ज़रा .......