भगता को भरी मेला भगता को भरी,
जन्म दिन श्याम धनी को आयो मेला लागे भगता को भरी,
कार्तिक चांदन के दिन भरी मेला लागे,
जाग उठे तकदीर उसी की जिस में श्रदा जागे,
ज्योत जगा के बाबा की सब राजी हो नर नार,
जन्मदिन श्याम धणी को आयो .....
चार कूट से भगत लाडले श्याम धनि के आवे,
ढोल नगाड़े चंग बचावे खूब धमाल मचावे,
छप्पन भोग छति सो व्यंजन जीम रहे गिरधारी,
जन्मदिन श्याम धणी को आयो .......
भेद न कोई धर्म जात का यहाँ सब भाई भाई,
जो आया बाबा के दर पे उसने किरपा पाई,
है जब में सरनाम मेरे बाबा की लखदातार,
जन्मदिन श्याम धणी को आयो.....
फुला से शृंगार करे बाबा ने खूब सजाते,
कई कई मन के केक कटे प्रशाद भक्त जन पाते ,
भूलन त्यागी भजन बनावे गावे दुनिया सारी,
जन्मदिन श्याम धणी को आयो