जिस पे किरपा की नजर मेरा श्याम रखता है,
तो कैसे इस जग में बताओ हार सकता है,
झुकने न देगा कभी जग में तुम्हको तू रख मन में विस्वाश ये,
इक बार गिरास में आ कर के खाटू लगा देना अरदास ये,
फिर गिरने न देगा ये आंसू तेरी आँख से,
तो कैसे इस जग में बताओ हार सकता है,
अनहोनी को होनी कर के दिखता करता चमत्कार ये,
बिगड़ा मुकदर पल में बनता ऐसा है दिल दार ये,
तेरे जीवन की नैया को कर देगा भव पार ये,
तो कैसे इस जग में बताओ हार सकता है,
टुटा कभी न किसी का भरोसा विस्वाश जिसने किया,
एहसास अपने होने का अमित को है इस ने दियां,
ये बेखौफ करता है करके मेहरबानियां,
तो कैसे इस जग में बताओ हार सकता है,