कोई शोंक न था खेल ने का हम को खतरों से,
पर क्या करे दिल खो गया उन टेडी नजरो में,
उन जादू भरी नजरो से मेरे मिल गए नैन,
मेरे दिन बदल गए मेरे दिन स्वर गए,
सारी दुनिया से हार के पोंचा वृंदावन
मेरे दिन बदल गए मेरे दिन स्वर गए,
निर्मोही था निर्लज भी था कपटी था ये मन,
खुल के वता सकू तुम्हे ऐसे न थे कर्म,
करुना के उस भंडार में मुझपे जो किया रहम,