दरबार में सचे सतगुरु के दुख दर्द मिटाए जाते है,
ये महफ़िल है मस्तानो की हर शख्श याहा पर मतवाला,
भर भर के जाम इबातात के,
याहा सब को पिलाए जाते है,
दरबार में सचे सतगुरु के दुख दर्द मिटाए जाते है,
इल्ज्म लगने वालो ने इल्जाम लगाये लाख मगर,
तेरी सोगात समज कर के हम सिर पे उठाये जाता है,
दरबार में सचे सतगुरु के दुख दर्द मिटाए जाते है,
जिन बन्दों आर एह जग बालो हो ख़ास इनायत सतगुरु की,
उनको ही संदेसा आता है और वे ही बुलाये जाते है
दरबार में सचे सतगुरु के दुख दर्द मिटाए जाते है,