सावन में कावड़ लाऊंगा लॉकडाउन हटा दो भोले जी,
मन मेरे में उठे है कुमाया जब जब यु सावन है आया,
हरिद्वार की नगरी आऊंगा मेरी बात मान ले भोले जी,
सावन में कावड़ लाऊंगा लॉकडाउन हटा दो भोले जी,
रिम झिम बरसे बदरियाँ भीगे कावड़ भीगे कावड़िया,
भोले मस्ती में रम जाउगा तेरी अजब निराली माया जी,
सावन में कावड़ लाऊंगा लॉकडाउन हटा दो भोले जी,
नील कंठ की ये कठिन चढ़ाई बम बम की जैकार लगाई,
नागर हर हर बम बम गाउ गा कंधे पे उठा कर कावड़ जी,
सावन में कावड़ लाऊंगा लॉकडाउन हटा दो भोले जी,