शम्भु वैद नाथ तेरे द्वारे ओना पांडवा ने बनाया भवन,
भोले वैद नाथ इ था रेहना पांडवा ने बनाया भवन,
रावण था तेरी पिंडी लंका लेइ चलैया
तुसा नहीं था लंका कॉल जाना पांडवा ने बनाया भवन,
लघुशंका लाइ रावण जो पारी,
इक ब्रामण जो पिंडी संभाली पांडवा ने बनाया भवन,
पिंडी ता तारी होइ बूढ़े बहमने नु,
करती पर सिर ते रखी प्यारी,
पांडवा ने बनाया भवन,
लघुशंका करि रावण ये आया,
पिंडी नीच कोई गेर हारी,
पांडवा ने बनाया भवन,