श्री गुरु चरण में शीश जुकाती

श्री गुरु चरण में शीश जुकाती
अंतर मन में ज्योति जगाती
उस ज्योत में स्वर्स्वती गूंजे ब्रह्मा नन्द का सुख मैं पाती

हे गुरु रूप में महादेव शिव तुम ही कंठ में स्वर उपजाते
नील कंठ प्रभु दर्शन देकर जीवन गरल सभी पी जाते
मेरे स्वर में तुम्ही गाते बाबा मैं निम्त बन जाती
श्री गुरु चरण में शीश जुकाती

श्री वरदिना पंथ न सूजे सत का मार्ग कौन दिखाए
पग पग दुखो के सर्प है खेरे मनवा भय नही हो पाए
सर्प सभी शिव कंठ सजा ले
निष् दिन मैं गुण गाती
श्री गुरु चरण में शीश जुकाती

download bhajan lyrics (773 downloads)