गुरु कृपाजन पायो मेरे भाई,
रामबिना कछु जानत नाहीं
अंतर राम ही बहार राम ही
जह देखों वहां राम ही राम ही,
गुरुकृपाजन पायो मेरे भाई,
जागत राम ही सोवत राम ही,
सपने में देखूं राजा राम ही,
गुरुकृपाजन पायो मेरे भाई,
कहत कबीरा अनुभव नि का,
जिद देखे वो राम सरीका,
गुरुकृपाजन पायो मेरे भाई,