प्रभु से जो मिला वो भी कुछ कम नही
भाग्य अपना समज कर सदा खुश रहो
प्रभु से जो मिला वो भी कुछ कम नही
नही छोटा बड़ा कोई उस के लिए नही अपना पराया है उस के लिए,
है उसी के सभी इक सब का वही
बात इतनी समज कर सदा खुश रहो
प्रभु से जो मिला वो भी कुछ कम नही
ये न पूछो के किसी से क्या चाहिए
चाहने को तो सब को बहुत चाहिए
चाह पूरी न होती किसी की कभी
मान कर ये हमेशा सदा खुश रहो
प्रभु से जो मिला वो भी कुछ कम नही
केहनी के लिए क्या मैं धन वां हु
आदमी का तो धन उसका ईमान है
काम करते रहो नाम रट ते रहो
गीत गा कर प्रभु के सदा खुश रहो